22 अप्रैल 2025 का दिन जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के लिए काला दिन बन गया। जिस बाइसारन घाटी को ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ कहकर पर्यटक पुकारते थे, वह उस दिन खून से लाल हो गई। पांच हथियारबंद आतंकियों ने इस खूबसूरत वादी में अंधाधुंध गोलीबारी कर 26 मासूम लोगों की जान ले ली। मरने वालों में नवविवाहित जोड़े, बच्चे और छुट्टियां मनाने आए परिवार शामिल थे। यह हमला भारत के इतिहास में सबसे घातक आतंकी हमलों में से एक बन गया, जिसने न केवल कश्मीर की शांति को भंग किया, बल्कि भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को भी चरम पर पहुंचा दिया। आइए, इस दिल दहलाने वाली घटना और इसके बाद के घटनाक्रम को विस्तार से समझते हैं।
खौफ का मंजर: हमले की पूरी कहानी

Sources PTI
पहलगाम आतंकी हमले की पूरी कहानी
पहलगाम आतंकी हमला 22 अप्रैल 2025, दोपहर करीब 1:30 बजे। पहलगाम की बाइसारन घाटी में पर्यटक प्रकृति की गोद में सुकून के पल बिता रहे थे। तभी पांच आतंकी, M4 कार्बाइन और AK-47 जैसे घातक हथियारों से लैस, जंगल के रास्ते घाटी में दाखिल हुए। यह क्षेत्र पैदल या घोड़े की सवारी से ही पहुंचा जा सकता है, जिसके कारण सुरक्षा बलों के लिए यह हमला पूरी तरह अप्रत्याशित था।
आतंकियों ने पहले पर्यटकों को इकट्ठा किया, फिर पुरुषों और महिलाओं को अलग-अलग किया। प्रत्यक्षदर्शी रमेश ठाकुर, जो चमत्कारिक रूप से बच गए, ने बताया, “उन्होंने कुछ लोगों से उनकी धार्मिक पहचान पूछी। एक क्रिश्चियन पर्यटक, सुशील नाथनियल, से ‘कलमा’ पढ़ने को कहा गया। जब उन्होंने मना किया, तो उन्हें तुरंत गोली मार दी गई।” हमले में 26 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर हिंदू पुरुष थे। इनमें एक स्थानीय पशु चालक, आदिल हुसैन शाह, भी शामिल था।
हमले के बाद आतंकी पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला के घने जंगलों में भाग निकले। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने तुरंत क्षेत्र को सील कर दिया और तीन संदिग्ध आतंकियों—हाशिम मूसा (उर्फ सुलैमान), अली भाई (उर्फ तल्हा भाई), और आदिल हुसैन ठोकर—के स्केच जारी किए। जांच में पता चला कि हाशिम मूसा पूर्व में पाकिस्तान सेना का पैरा कमांडो था और बाद में लश्कर-ए-तैयबा में शामिल हो गया था।
आतंकी साजिश
मले की जिम्मेदारी शुरुआत में ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ली, जो लश्कर-ए-तैयबा का एक सहयोगी संगठन है। TRF ने दावा किया कि यह हमला भारत सरकार की उस नीति के खिलाफ था, जो गैर-कश्मीरियों को कश्मीर में बसने और रोजगार करने की अनुमति देती है। लेकिन चार दिन बाद, TRF ने अपना दावा वापस ले लिया, जिसने साजिश की परतों को और जटिल कर दिया।
भारतीय खुफिया एजेंसियों ने हमले को लश्कर-ए-तैयबा से जोड़ा, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने आतंकी संगठन घोषित किया है। जांच में पता चला कि हमले की योजना पाकिस्तान के मुजफ्फराबाद और कराची में बने सुरक्षित ठिकानों में तैयार की गई थी। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने इस मामले में एक नया FIR दर्ज किया और इसे “पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद” का हिस्सा बताया।
भारत का गुस्सा: त्वरित और कठोर कदम
हमले की खबर फैलते ही देश में गुस्से की लहर दौड़ गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 अप्रैल को सऊदी अरब की अपनी यात्रा रद्द की और कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की आपात बैठक बुलाई। इस बैठक में कई ऐतिहासिक निर्णय लिए गए:
- इंडस वाटर ट्रीटी पर रोक: भारत ने 1960 के इंडस वाटर ट्रीटी को निलंबित कर दिया, जिसके तहत भारत और पाकिस्तान के बीच छह नदियों—सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास, और सतलुज—के पानी का बंटवारा होता है। जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा, “जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता, उसे एक बूंद पानी भी नहीं मिलेगा।”
- सीमा और वीजा प्रतिबंध: भारत ने अटारी-वाघा सीमा को बंद कर दिया और सभी पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा (लंबी अवधि, राजनयिक, और आधिकारिक वीजा को छोड़कर) रद्द कर दिए। पाकिस्तानी नागरिकों को 1 मई 2025 तक भारत छोड़ने का आदेश दिया गया।
- कूटनीतिक कार्रवाई: भारत ने नई दिल्ली में पाकिस्तानी सैन्य सलाहकारों को निष्कासित कर दिया और पाकिस्तानी दूतावास में राजनयिकों की संख्या को 55 से घटाकर 30 कर दिया। SAARC वीजा छूट योजना के तहत पाकिस्तानी नागरिकों का भारत में प्रवेश भी प्रतिबंधित कर दिया गया।
- सुरक्षा अभियान: भारतीय सेना, CRPF, और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक संयुक्त तलाशी अभियान शुरू किया। पहलगाम में अस्थायी लॉकडाउन लागू किया गया, और ड्रोन व हेलीकॉप्टरों की मदद से आतंकियों की तलाश की गई। 24 अप्रैल को उधमपुर के बसंतगढ़ में मुठभेड़ में एक भारतीय सैनिक शहीद हो गया।
- आतंकी ठिकानों का खात्मा: सुरक्षा बलों ने दक्षिण कश्मीर में चार संदिग्ध आतंकियों—आदिल हुसैन ठोकर, आसिफ, और अन्य—के घरों को नियंत्रित विस्फोटों से नष्ट कर दिया। यह कार्रवाई बांदीपोरा, पुलवामा, शोपियां, और कुपवाड़ा में की गई।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा ने 28 अप्रैल को एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित कर हमले की निंदा की और सामुदायिक एकता को मजबूत करने का संकल्प लिया। उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने कहा, “यह हमला कश्मीर की आत्मा पर चोट है। हम एकजुट होकर इसका जवाब देंगे।” विधानसभा ने पीड़ितों के सम्मान में दो मिनट का मौन रखा।
स्थानीय लोगों ने भी सड़कों पर उतरकर हमले के खिलाफ गुस्सा जताया। श्रीनगर की डल झील पर शिकारा मालिकों और जम्मू नदी के किनारे महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन किए। कश्मीर होटल एसोसिएशन के अनुसार, हमले के बाद 80% पर्यटक बुकिंग रद्द हो गईं, जिससे पर्यटन उद्योग को करीब 500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
हालांकि, कुछ क्षेत्रीय दलों ने आतंकियों के घरों को तोड़ने की कार्रवाई पर सवाल उठाए। PDP अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा, “आतंकियों और आम नागरिकों के बीच अंतर करना जरूरी है। निर्दोष परिवारों को सजा देना ठीक नहीं।”
भारत-पाकिस्तान तनाव
हमले ने भारत-पाकिस्तान संबंधों को नए निचले स्तर पर पहुंचा दिया। भारत ने पाकिस्तान पर सीधे तौर पर आतंकवाद को समर्थन देने का आरोप लगाया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “पाकिस्तान को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। हम आतंकियों को घुसकर मारेंगे।”
पाकिस्तान ने इन आरोपों को खारिज करते हुए हमले को “भारत का झूठा फ्लैग ऑपरेशन” करार दिया। हालांकि, पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के एक बयान, जिसमें उन्होंने स्वीकार किया कि उनका देश अतीत में आतंकी संगठनों को समर्थन देता रहा है, ने भारत के दावों को बल दिया। भारत ने इस बयान को संयुक्त राष्ट्र में उठाया।
पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई में कई कदम उठाए:
- भारतीय विमानन कंपनियों के लिए हवाई क्षेत्र बंद कर दिया।
- भारत के साथ सभी द्विपक्षीय व्यापार निलंबित कर दिए।
- इंडस वाटर ट्रीटी को निलंबित करने को “युद्ध की कार्रवाई” बताया और सैन्य जवाब की धमकी दी।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने हमले की एकजुट होकर निंदा की:
- अमेरिका: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा, “आतंकवाद के खिलाफ भारत का साथ देना हमारी प्राथमिकता है।”
- इजरायल: प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भारत के साथ एकजुटता जताई।
- रूस: राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हमले को “क्रूर अपराध” करार दिया।
- यूके: प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर और पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने हमले की निंदा की।
- ईरान: राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियां ने क्षेत्रीय सहयोग से आतंकवाद से लड़ने की बात कही।
- इंडोनेशिया: भारत में राजदूत ने हमले को “जघन्य” बताया।
आतंकियों की तलाश तेज
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हमले की जांच को तेज कर दिया। 24 अप्रैल को, तीन संदिग्ध आतंकियों—हाशिम मूसा, अली भाई, और आदिल हुसैन ठोकर—पर 60 लाख रुपये (प्रत्येक पर 20 लाख) का इनाम घोषित किया गया। डिजिटल सबूतों और खुफिया जानकारी के आधार पर, हमले को पाकिस्तान के सुरक्षित ठिकानों से जोड़ा गया।
सुरक्षा बलों ने कश्मीर में सैकड़ों पूर्व ओवरग्राउंड वर्करों और आतंकियों से पूछताछ की। 29 अप्रैल तक, 48 सार्वजनिक पार्क और पर्यटक स्थल सुरक्षा कारणों से बंद कर दिए गए।